Missionary school सरकार से रजिस्टर्ड होते हैं। इन स्कूलो में हायर सकेंडरी एजुकेशन और missionary education को सरकार के सुनिश्चित तरीके से पढ़ाया जाता है
Missionary School Kya Hota Hai Puri Jankari
आज के बहुत से माता - पिता अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए missionary school में दाखिला करवाते हैं। बहुत से लोग ऐसे होंगे जो इन स्कूलों के बारे जानते नहीं होंगे। उनके मन में सवाल आ रहा होगा कि ये कौन से स्कूल होते हैं ? Mission school वो होते हैं जो किसी समुदाय द्वारा संचालित किये जाते हैं। ये अन्य विद्यालयों के जैसे ही होते हैं और ये सभी सरकारी आदेशों का भली - भांति पालन करते हैं। मिशनरी स्कूल अंग्रेजी शिक्षा को बढ़ावा देते हैं। संयोग से हमारी आज की शिक्षा प्रणाली अंग्रेजी पर ही आधारित है। इनके बारे कुछ और भी तथ्य प्रचलित हैं, आज हम उनको जानने की कोशिश करेंगे।
ये school ईसाई समुदायों द्वारा चलाये जाते हैं। इनका मकसद ईसाई धर्म को बढ़ावा देना और अंग्रेजी शिक्षा को चलन में लाना होता है। मिशनरी स्कूल जैसा कि नाम से ही जाहिर होता है कि किसी मिशन के तहत इनकी स्थापना की गई हो। भारत में इनकी स्थापना 16वीं शताब्दी में हुई, लेकिन इनका उदय 17वीं शताब्दी में होना शुरू हुआ। इनमें और convent school में काफी समानतायें मिलती हैं, लेकिन दोनों का उद्देश्य अलग - अलग है।
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Church missionary school अपने ईसाई धर्म को बढ़ावा देते हैं और इन्हीं के द्वारा ये स्कूल चलाये जाते हैं। ये भारत सरकार की सभी गाइडलाइन का बखूबी पालन करते हैं। इसके अलावा पाठ्यक्रम भी सरकार के आदेशानुसार चलाया जाता है। इन विद्यालयों में एक चर्च जरूर होता है। यहां सभी धर्म के बच्चे पढ़ते हैं। बच्चों पर धर्म परिवर्तन के लिए कोई किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बनाया जाता है। जो छात्र ईसाई होते हैं उनके लिए बाइबिल शिक्षण की अलग से व्यवस्था की जाती है। यहां क्रिसमस के त्यौहार पर लम्बी छुट्टियां देने का चलन होता है। यहां छोटी क्लास से लेकर बड़ी क्लास तक की शिक्षा पायी जा सकती हैं।
मिशनरी स्कूल अच्छे क्यों होते हैं
Missionary school की विशेषताएं
इन स्कूलों में हायर सेकेण्डरी एजुकेशन यानि कि इंग्लिश मीडियम की शिक्षा प्रणाली से पढ़ाया जाता है।
यह एक तरह से आवासीय विद्यालय होते हैं। यहां पढ़ने के साथ - साथ रहने की भी व्यवस्था होती है।
भारत में इनकी स्थापना 16वीं शताब्दी में हुई, लेकिन इनका उदय 17वीं शताब्दी में हुआ।
ईसाई धर्म को मानने वाले अधिकतर लोग अपने बच्चों की मिशनरी या कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाना पसंद करते हैं।
भारत के सभी राज्य व जिलों में ये school स्थापित हैं। इनमें शिक्षा प्राप्त करने के लिए आपको कही भटकना नहीं पड़ेगा।
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