गणेश चतुर्थी हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। हमारे देश मे यह हर साल बड़ी धूमधाम मनाया जाता है। कहीं - कहीं पर इसे गणेश चौथ के नाम से भी पुकारा जाता है
हमारे भारत देश मे गणेश चतुर्थी का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसे विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। अब एक सबसे अहम और सोचने वाली बात यह है कि गणेश उत्सव किसने और कब शुरू किया ? इसके पीछे कई कथाएं है, जिसके कारण ये त्यौहार मनाया जाता है। गणपति जी को विध्नहर्ता कहा जाता है। इसलिए इनकी भक्ति जीवन मे आने वाली बाधाओं को दूर करने में पूरी तरह सहायक होती है। किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले गणेश भगवान का पूजन किया जाता है। ऐसी हिन्दू धर्म मे मान्यता प्रचलित हैं।
What is Ganesh Chaturthi why it is celebrated
यह हर वर्ष हिंदी महीना भाद्रपद माह में शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। जोकि चतुर्दशी तक बड़ी धूमधाम से मनायी जाती है। इस चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।
गणेश चतुर्थी कब है
इस बार साल 2022 में गणेश चतुर्थी 31 अगस्त दिन बुधवार को है जोकि अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर दिन शुक्रवार तक बड़े जोरशोर से मनाई जाएगी।
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गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं
हिन्दू पुराणों के अनुसार यह मान्यता है कि भाद्रपद माह की शुक्लपक्ष की चतुर्थी को भगवान श्री गणेश जी का जन्म हुआ था। यह भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र है। इनका जन्म मध्याह्न काल मे हुआ था, इसलिए मध्याह्न काल में इनका पूजन ज्यादा फलदायी साबित होता है। इनको एक ऐसा वरदान प्राप्त है, जिसके कारण किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले इनका पूजन किया जाता है।
Ganesh Chaturthi की पूजन विधि
इस दिन सबसे पहले सुबह स्नान करके लाल रंग के कपड़े पहने जाते हैं। इसके बाद गणेश जी की का मुख उत्तर या पूर्व दिशा में रखकर मूर्ति स्थापित की जाती है। इसके बाद पंचामृत से अभिषेक किया जाता है। पंचामृत में सबसे पहले दूध फिर दही, घी, शहद और अंत में गंगा जल से अभिषेक करते हैं। फिर इन पर रोली, कलावा और सिंदूर चढ़ाया जाता है।
रिद्धि - सिद्दी के रूप में गणपति जी को दो सुपारी और पान चढ़ाए जाते हैं। इसके बाद फल - फूल वगैरह चढ़ाए जाते हैं। ये सब करने के बाद इनकी सबसे प्रिय मिठाई मोदक का भोग लगाया जाता है। मोदक को नारियल और गुड़ के मिश्रण से मिठाई की तरह तैयार किया जाता है। इसके बाद इनकी आरती की जाती है और इनके मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
प्रमुख अनुष्ठान
इस पर्व के मुख्यतः चार अनुष्ठान बताए गए हैं। जिनको करने से इनकी पूजा पूर्ण होती है।
प्राण प्रतिष्ठा
इसमे भगवान गणेश को मूर्ति के रूप में स्थापित करना होता है।
षडोपचार
इसमे प्रतिमा स्थापित होने के बाद इनको 16 रूप में श्रधांजल अर्पित करते हैं।
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उत्तरपूजा
यह गणपति बप्पा की ऐसी पूजा है, जिसे करने के बाद इनकी स्थापित मूर्ति को कहीं भी ले जाया जा सकता है। ताकि लोग इनके दर्शन करके पुण्य फल प्राप्त कर सकें।
मूर्ति विसर्जन
इस प्रक्रिया में इनकी पूर्ण रूप से पूजा करने के बाद तय किये दिन को इनकी मूर्ति को किसी नदी, तालाब या कुण्ड में विसर्जित किया जाता है।
अन्य नाम
उत्तर भारत में इसे गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। महाराष्ट्र में गणेशोत्सव व गणेशघर के नाम से पुकारा जाता है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में विनायक चविथी कहा जाता है। तमिलनाडु में यह विनायक चतुर्थी पर्व के नाम से प्रसिद्ध है। कुछ राज्यों में इसे गणेश चौथ और डण्डा चौथ कहकर भी पुकारा जाता है।
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