मकर संक्रांति का पर्व भारत देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह दिन बहुत पूण्य वाला माना गया है। मकर संक्रांति के दिन सूर्यदेव की पूजा की जाती है। यह हमारे देश में कई प्रकार से मनाया जाता है।
हमारे सभी पाठकों को मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। हिन्दू धर्म के लोगों का मानना है कि मकर संक्रांति ही एक ऐसा पर्व है जो कि एक फिक्स तारीख के अनुसार मनाया जाता है। बाकी हिन्दू धर्म के अन्य त्यौहार होली, दीपावली, रक्षाबंधन और दशहरा हिंदी पंचाग की तिथि के अनुसार मनाये जाते हैं। इसे बहुत ही पुण्य का दिन माना जाता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान और दान देने का बहुत महत्व है। इस दिन अधिकतर लोग गंगा नदी में स्नान करके पुण्य कमाते हैं। कुछ लोग इसे छोटा festival मानते हैं, लेकिन अगर सही मायने में देखा जाए तो ये दिन हमारे जीवन में बहुत लाभदायक है। इसे विधि - पूर्वक मनाने से हमारे सारे पाप धुल जाते हैं। इसकी ऐसी मान्यता है। हमारे भारत देश मे यह त्यौहार अलग - अलग नाम से व अलग - अलग तरीके से मनाया जाता है। सभी के रीति - रिवाज कुछ - कुछ अलग हैं।
हम आपको बता दें कि बहुत से लोग तो ये भी नही जानते हैं कि ये festival क्यों मनाया जाता है ? आज इस पोस्ट मे हम आपको इस त्यौहार की पूरी जानकारी देंगे। जिसे जानकर आप जब ये त्यौहार मनाएंगे तो आपको ज्यादा खुशी महसूस होगी। सबसे पहले जानते हैं कि ये क्यों मनाया जाता है ?
मकर संक्रांति 2019 की पूरी जानकारी
मकर संक्रांति मनाने के कारण
1- इस त्यौहार को मनाने के कई कारण है, उनमे से सबसे महत्वपूर्ण कारण ये है कि इस दिन भगवान सूर्यदेव धनु राशि को छोड़कर मकर राशि मे जाते हैं, क्योंकि सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव से मिलने उनके घर जाते हैं। और शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। इसलिए इसे मकर संक्रांति का कहा जाता है।
2- इसी दिन गंगा जी भागीरथ के पीछे - पीछे कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में उनसे जा मिली थी। तभी से इस दिन का महत्व है।
3- गंगाजी को पृथ्वी पर लाने वाले भागीरथ ने अपने बुजुर्गों व पूर्वजों के लिए इसी दिन तर्पण किया था, जिसे स्वीकार कर गंगा समुद्र में जा मिली थीं।
4- कुछ विद्वानों के मत के अनुसार एक कारण ये भी बताया जाता था कि इसी दिन यशोदा मईया ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के लिए व्रत किया था। तब से इस दिन व्रत का चलन भी है।
5- भीष्म पितामह ने सैय्या पर लेटे हुए अपना शरीर इसी दिन त्यागा था। इन्होंने इसी दिन मोक्ष प्राप्त की थी।
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मकर संक्रांति पर्व के अन्य प्रचलित नाम
हमारे देश के उत्तर भारत में मकर संक्राति की पूर्व संध्या को लोहड़ी के रुप में मनाने का चलन है।
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में इसे बिहु नाम से मनाया जाता है।
भारत के दक्षिणी राज्यों में इसे पोंगल के नाम से बड़ी धूमधाम से हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
भारत के कुछ राज्यों में इसे उत्तरायणी, तिल संक्रांति, खिचड़ी पर्व तो कहीं - कहीं इसे केवल संक्रांति के नाम से भी पुकारा जाता है। ये अलग - अलग क्षेत्रों में भिन्न - भिन्न तरीके से मनाई जाती है।
मकर संक्रांति मनाने की विधि
इस दिन सबसे पहले सुबह -सुबह किसी पवित्र नदी या गंगा नदी में स्नान करके सूर्यदेव की पूजा - अर्चना की जाती है। अपने घर के बड़े - बुजुर्गों के चरण छूकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।
इस दिन चावल, गुड़, तिल या दाल का दान करना बहुत ही शुभ माना गया है।
इस दिन तिली और गजक एक - दूसरे को बांटी जाती हैं।
कुछ राज्यों में इस दिन पतंग उड़ाने का प्रचलन भी है।
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दोस्तो अब तो आप अच्छी तरह से जान गए होंगे कि ये उत्सव क्यों और कैसे मनाया जाता है ? लोगों को ये जानकारी जरूर होनी चाहिए कि जो उत्सव मना रहे हैं, वो क्यों मनाया जाता है ? इसी तरह हिन्दू धर्म के अनुयायियों को मकर संक्रांति की जानकारी होना आवश्यक है। इसे आस्था का प्रतीक दिन कहा जाता है। अब हम समझते हैं कि इस पोस्ट के द्वारा आप सभी लोग जान गए होंगे कि ये festival मनाना हमारे लिए क्यों जरूरी है ? त्यौहार कोई भी हो, किसी भी धर्म का हो। इनका सिर्फ एक ही मकसद होता है। खुश रहना और खुशियां बांटना। इसलिए हमारा आपसे अनुरोध है कि आप सभी मकर संक्रांति का पर्व खुशियों का आदान - प्रदान करते हुए पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाये।
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1- इस त्यौहार को मनाने के कई कारण है, उनमे से सबसे महत्वपूर्ण कारण ये है कि इस दिन भगवान सूर्यदेव धनु राशि को छोड़कर मकर राशि मे जाते हैं, क्योंकि सूर्यदेव अपने पुत्र शनिदेव से मिलने उनके घर जाते हैं। और शनिदेव मकर राशि के स्वामी हैं। इसलिए इसे मकर संक्रांति का कहा जाता है।
2- इसी दिन गंगा जी भागीरथ के पीछे - पीछे कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में उनसे जा मिली थी। तभी से इस दिन का महत्व है।
3- गंगाजी को पृथ्वी पर लाने वाले भागीरथ ने अपने बुजुर्गों व पूर्वजों के लिए इसी दिन तर्पण किया था, जिसे स्वीकार कर गंगा समुद्र में जा मिली थीं।
4- कुछ विद्वानों के मत के अनुसार एक कारण ये भी बताया जाता था कि इसी दिन यशोदा मईया ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के लिए व्रत किया था। तब से इस दिन व्रत का चलन भी है।
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भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में इसे बिहु नाम से मनाया जाता है।
भारत के दक्षिणी राज्यों में इसे पोंगल के नाम से बड़ी धूमधाम से हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
भारत के कुछ राज्यों में इसे उत्तरायणी, तिल संक्रांति, खिचड़ी पर्व तो कहीं - कहीं इसे केवल संक्रांति के नाम से भी पुकारा जाता है। ये अलग - अलग क्षेत्रों में भिन्न - भिन्न तरीके से मनाई जाती है।
मकर संक्रांति मनाने की विधि
इस दिन सबसे पहले सुबह -सुबह किसी पवित्र नदी या गंगा नदी में स्नान करके सूर्यदेव की पूजा - अर्चना की जाती है। अपने घर के बड़े - बुजुर्गों के चरण छूकर उनका आशीर्वाद लिया जाता है।
इस दिन चावल, गुड़, तिल या दाल का दान करना बहुत ही शुभ माना गया है।
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दोस्तो अब तो आप अच्छी तरह से जान गए होंगे कि ये उत्सव क्यों और कैसे मनाया जाता है ? लोगों को ये जानकारी जरूर होनी चाहिए कि जो उत्सव मना रहे हैं, वो क्यों मनाया जाता है ? इसी तरह हिन्दू धर्म के अनुयायियों को मकर संक्रांति की जानकारी होना आवश्यक है। इसे आस्था का प्रतीक दिन कहा जाता है। अब हम समझते हैं कि इस पोस्ट के द्वारा आप सभी लोग जान गए होंगे कि ये festival मनाना हमारे लिए क्यों जरूरी है ? त्यौहार कोई भी हो, किसी भी धर्म का हो। इनका सिर्फ एक ही मकसद होता है। खुश रहना और खुशियां बांटना। इसलिए हमारा आपसे अनुरोध है कि आप सभी मकर संक्रांति का पर्व खुशियों का आदान - प्रदान करते हुए पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाये।
आपको हमारी ये पोस्ट कैसी लगी। हमें उम्मीद है कि आपको ये पोस्ट जरूर पसंद आयी होगी। यदि करियर से सम्बंधित कोई समस्या या problem हो तो आप हमें comment के द्वारा पूछ सकते हैं। यदि आप हमें करियर से संबंधित कोई जानकारी देना चाहते हैं या कोई गेस्ट पोस्ट भेजना चाहते हैं तो आप हमें safaladda@gmail. com पर भेज सकते हैं।
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makr sktrani ke bare me bhut hi achii jankari di hai apne thansk
ReplyDeleteThanks again
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